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चटकारे बाली बरसात 😀

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वो बरसात क़े दिन हमारे बिहार क़े क्या हीं बरसते थे  छत क़े किनारे से बच्चे नहाने क़ो उताबले रहा करतें थे इस बरसात क़े जल से ख़ूब हीं तो मस्ती आया करती थी, इस वर्षा जल में नहाने से इस पतली बूंद में ...

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लेखक के बारे में
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vinita prakash

दुनियां से युँ ही लोहा ना ले, पहले खुद तपे फिर बने ऐसा लोहा कि, मनचाही औजरो सी,आकार प्राप्त कर सके 🌹।

समीक्षा
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    महेश समीर
    23 जुलाई 2023
    वाह बहुत सुन्दर
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    महेश समीर
    23 जुलाई 2023
    वाह बहुत सुन्दर