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चरैवेति चरैवेति यही तो मन्त्र है अपना नहीं रुकना नहीं थकना सतत् चलना सतत् चलना यही तो मन्त्र है अपना शुभंकर मन्त्र है अपना

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चरैवेति चरैवेति यही तो मन्त्र है अपना नहीं रुकना नहीं थकना सतत् चलना सतत् चलना यही तो मन्त्र है अपना शुभंकर मन्त्र है अपना हमारी प्रेरणा भास्कर है जिनका रथ सतत् चलता युगों से कार्यरत है जो ...

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लेखक के बारे में
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Vinay Sinha

शून्य से शून्य तक की यात्रा का प्रयास करता हूं।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

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  • author
    28 জানুয়ারী 2022
    उत्कृष्ट लेखन,श्रेय ,बधाई, शुभकामनाएं रचनाकार के लिए
  • author
    shashi kala
    28 জানুয়ারী 2022
    बहुत सुन्दर मंत्र
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    28 জানুয়ারী 2022
    उत्कृष्ट लेखन,श्रेय ,बधाई, शुभकामनाएं रचनाकार के लिए
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    shashi kala
    28 জানুয়ারী 2022
    बहुत सुन्दर मंत्र