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चाँद, गंगा और तुम

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चाँद ,गंगा और तुम, काशी में मेरी अनमोल धरोहर तुम्हारा निस्वार्थ मन बिलकुल, किसी सफ़ेद शंख सा झलकता तुम्हारे चेहरे को पढ़ना किताना सरल है मोम सा बेनकाब, एकरंगा और निश्छल जलती शमा के लौ सी ...

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लेखक के बारे में
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Anjali Tripathi

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Saurvya
    15 फ़रवरी 2021
    nice 😊
  • author
    Nidhi singh Ns "Ns"
    21 जुलाई 2020
    बहुत खूब
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    Saurvya
    15 फ़रवरी 2021
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    Nidhi singh Ns "Ns"
    21 जुलाई 2020
    बहुत खूब