pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

चंचल नदिया

5
1

ओ चंचल नदिया, तू बात तो सुन ले किनारे की, समंदर से जो मिल जाएगी, तो खुद को ढूंढ न पाएगी। तेरी हर लहर में है, जीवन की एक कहानी, रास्ते में जो मिलते हैं, वो साथी तेरे जाने-माने। तेरे बहाव में बसी है, ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Anamika Dubey

कभी बहता झरना कभी ठहरी हुई नदी हूं मैं

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    26 जुलाई 2024
    बहुत सुंदर
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    26 जुलाई 2024
    बहुत सुंदर