चली खत्म करने शीत की कहानी! शीत की कहानी खत्म करने की रख खयाल, साड़ी पर मलिन जीर्ण डाल रखी वो दुशाल - निकल पड़ी अपराह्न में घर का काम शेषकर; बटोरने गोबर पुआल, था अलाव का सवाल। शीत से निपटने के ...
वाह, गाँव की स्त्री की दिनचर्या को, कितने सहज सरल निश्छल भाव से समेटा है भाई आपने, आज तो शब्दों की कलाकारी ने, साकारता का खाका खींच, सचित्र दर्शा दिया!
वो स्त्री घर के कामों से निपट, शाम के अलाव के लिए , शीत ऋतु में शीत को हराने के जुगाड़ में, शाल ओढ़...... आहा.... 👏👏👏👌👍🙏🏻😊
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