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चले थे मौत की तलाश मे

3.8
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चले थे मौत की तलाश मे जिंदगी से मुलाकात हो गयी कल की हसीन रात थी रूबरू कुछ बात हो गयी । पतझड़ के मौसम में आई वो वसन्त की तरुणाई थी। रात अंधेरी अमावस सी वो चांदनी बन आई थी । मदहोशि के आलम मे यूँ होश की ...

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लेखक के बारे में

नमस्कार, मेरा परिचित मुझे एक बैंकर के रूप में जानते हैं । दिल से ज्यादा दिमागी फैसलो को अहमियत देने वाले इस proffesion, भागदौड़ भरी जिंदगी में जैसे ही फ़ुरसत के कुछ लम्हे मिलते है, दिमाग सो जाता है और दिल को मिल्कियत मिलते ही कलम लिखने लग जाती है जिंदगी के अहसासो को, अरमानो को, न पूरे होने वाले ख्वाबो को, घुटन भरी जिंदगी मे खुले आकाश मे उड़ने की तमन्ना , दिल को लिखने पर मजबूर कर देती है । मैं कोई बहुत बड़ी लेखिका या कवियत्री नही बनना चाहती । बस लिखना चाहती हूँ । लिखने का शौक तो किसी को भी हो सकता है , परन्तु उसे कोई पढ़ने वाला न हो तो कोई मायने नही । यही एक जरूरत मुझे प्रतिलिपि के मंच पर खींच लायी है , इस उम्मीद के साथ कि आप अपने अमूल्य समय मे से थोड़ा सा वक्त मुझे पड़ने के लिए जरूर निकालेंगे । मैँ कोई बहुत अच्छा नही लिखती हूँ, फिर भी आप मुझे पढकर मेरी होउस्लाअफसाई करेंगे , एक अच्छे आलोचक बनकर मेरी रचनाओ को श्रेष्टम के शिखर पर पहुचाने मे मेरी मदद करेंगे . आपकी प्रज्ञा "अस्मि"  

समीक्षा
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  • author
    Laxminarayan Kedia
    24 दिसम्बर 2017
    जब जिन्दगी पुकार रही है तो मौत शब्द कुछ जमा नहीं। इसकी जगह तन्हाई शब्द ज्यादा जमता। शायद मैं गलत हो सकता हूँ । तब आलोचक समझ कर सहन कर लीजिएगा।
  • author
    Nidhi Baghel
    13 अक्टूबर 2015
    <p><img alt="yes" height="23" src="http://c.lib.cdssolutions.in/ckeditor-4.4.5-full/plugins/smiley/images/thumbs_up.png" title="yes" width="23" /> </p>
  • author
    22 अक्टूबर 2015
    Bahut hi badhiyaa chitran kiya h....bhawarth ne dil chhhoo liya...shabdo pe thodi mehnat ki jaroorat h..
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    Laxminarayan Kedia
    24 दिसम्बर 2017
    जब जिन्दगी पुकार रही है तो मौत शब्द कुछ जमा नहीं। इसकी जगह तन्हाई शब्द ज्यादा जमता। शायद मैं गलत हो सकता हूँ । तब आलोचक समझ कर सहन कर लीजिएगा।
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    Nidhi Baghel
    13 अक्टूबर 2015
    <p><img alt="yes" height="23" src="http://c.lib.cdssolutions.in/ckeditor-4.4.5-full/plugins/smiley/images/thumbs_up.png" title="yes" width="23" /> </p>
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    22 अक्टूबर 2015
    Bahut hi badhiyaa chitran kiya h....bhawarth ne dil chhhoo liya...shabdo pe thodi mehnat ki jaroorat h..