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छलावा

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4.1

<p>सर्दी की गुमसुम सुनसान रात और बारिश रुक रुक कर हो रही थी सड़क पर दूर दूर तक कोह्र्रे की चादर थी चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था ऐसी अँधेरी रात मैं वरुण अकेले ही निकल पड़ा था आज उसके पक्के दोस्त ...