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चल रे मटके टम्मक टू (पार्ट २

4.7
248

चल रे मटके टम्मक टू (पार्ट २   और रोज की तरह बुढ़िया जंगल के किनारे पहुंची धीरे से मटके के अंदर बैठ गई ! हमेशा की तरह वही डर जंगल में ख़तरनाक़ जगंली खूंखार जटवारो का डर ! ...

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लेखक के बारे में
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vinod parashar

सत्य की जीत नहीं होती बल्कि विजयी का सत्य होता है

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Arshi Mahboob
    09 अप्रैल 2020
    बचपन में मां से सुनी हुई कहानी। और आज पढ़ भी ली।
  • author
    दीक्षा जैन
    20 मार्च 2020
    bachpan yad dila diya thank u sooooooooooooo much
  • author
    Manav parashar
    10 जून 2020
    comedy hai ek dum 😂
  • author
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  • author
    Arshi Mahboob
    09 अप्रैल 2020
    बचपन में मां से सुनी हुई कहानी। और आज पढ़ भी ली।
  • author
    दीक्षा जैन
    20 मार्च 2020
    bachpan yad dila diya thank u sooooooooooooo much
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    Manav parashar
    10 जून 2020
    comedy hai ek dum 😂