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चकमक पत्थर

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चकमक पत्थर काश! मैं तुम्हारी जिंदगी में होती मेरा वजूद चकमक पत्थर सा होता तराशते मुझको अपने हाथों से गढ़वा देते अपने रत्न जड़ित महँगे आभूषण में, दमकती चमकती रहती  उन पर उकेर देते कलित नक्काशी ...

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लेखक के बारे में
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Pushpa Chaturvedi

हिंदी साहित्य में रुझान हैं, पढ़ना और लिखना दोंनो बहुत पसंद है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    JETHARAM MANARAM "CHOUDHARY"
    19 जुलै 2021
    सुन्दर रचना लिखी है आपने जी
  • author
    19 जुलै 2021
    चकमक पत्थर सा वजूद.. बेहद उम्दा लिखा है आपने.
  • author
    Sunita Jha
    22 ऑक्टोबर 2022
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है आपकी।
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  • author
    JETHARAM MANARAM "CHOUDHARY"
    19 जुलै 2021
    सुन्दर रचना लिखी है आपने जी
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    19 जुलै 2021
    चकमक पत्थर सा वजूद.. बेहद उम्दा लिखा है आपने.
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    Sunita Jha
    22 ऑक्टोबर 2022
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है आपकी।