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चाक करना है इसी ग़म से गिरेबान-ए-कफ़न

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चाक करना है इसी ग़म से गिरेबान-ए-कफ़न कौन खोलेगा तेरे बन्द-ए-कबा मेरे बाद वो हवाख़्वाह-ए-चमन हूँ कि चमन में हर सुब्ह पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा मेरे बाद तेज़ रखना सर-ए-हर ख़ार को ऐ ...

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लेखक के बारे में
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मीर तकी मीर

परिचय मूल नाम : मोहम्मद तकी जन्म : 1723 आगरा (अकबरपुर) भाषा : उर्दू, फारसी निधन - 21 सितम्बर 1810 ( लखनऊ )

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    22 সেপ্টেম্বর 2020
    जीवन का सत्य
  • author
    Sayyeda Khatoon
    20 জানুয়ারী 2019
    बेहतरीन
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    Manjit Singh
    22 সেপ্টেম্বর 2020
    जीवन का सत्य
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    Sayyeda Khatoon
    20 জানুয়ারী 2019
    बेहतरीन