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“चाय की चुस्की और बदबू वाला पैकेज”

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सुबह-सुबह जब आप उठकर, बड़े मन से, खुद अपने हाथों से "अदरक वाली चाय गैस पर चढ़ाते हैं", तो चाय उबलने से पहले ही, आप उसकी “गरमा-गरम चुस्कियों” से मिलने वाले आनंद की कल्पना में मगन हो जाते हैं । चाय उबल ...

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लेखक के बारे में

डॉ. हरेंद्र सिंह चाहर आगरा शहर से सम्बन्ध रखते हैं। अध्यापक पिता से लेखन विरासत में मिला है। पेशे से वैज्ञानिक डॉ. चाहर प्रतिष्ठित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली, से पीएचडी (PhD) करने के पश्चात अभी अमेरिका में विषाणु विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत हैं। जिज्ञासाओं को उनके तार्किक अंत तक पहुँचाने के लिए विज्ञान करते हैं और मन की ख़ुशी और शांति के लिए कवितायेँ और कहानियाँ लिखते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी समिति (IHA) की त्रेमासिक पत्रिका “विश्वा” और IHA ह्यूस्टन चैप्टर की पत्रिका “गुंजन” में अनेक कवितायेँ प्रकाशित । इसी के साथ अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम “हिंदी कविता की शाम”, “होली के हिंदी बोल”, “मैं और मेरी मातृभूमि" में हर वर्ष काव्यपाठ ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Krishnakriti "कृति"
    21 दिसम्बर 2019
    😄😄👌
  • author
    Anju Garg
    18 मई 2019
    😂😂😂😂😂😂
  • author
    Jyoti Bajpai
    24 जनवरी 2019
    bahut khoob. 😅
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    Krishnakriti "कृति"
    21 दिसम्बर 2019
    😄😄👌
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    Anju Garg
    18 मई 2019
    😂😂😂😂😂😂
  • author
    Jyoti Bajpai
    24 जनवरी 2019
    bahut khoob. 😅