सुबह को सुबह में शाम को शाम में देखना चाहता हूँ डूबते सूरज को देखना चाहता हूँ सड़को से घर लौटते उन्ही रास्तो से घर को लौटना चाहता हूँ आसमान तलक ऊँची दुकानों के बीच पुरानी गली के कोने में अखबार ...
देखी और समझी के बीच का कुछ है जो लिखता हूँ ..जब भी मैं बचता हूँ अपनी रोजमर्रा में से कुछ थोड़ा सा ।।
थोड़ा जानता हूँ , थोड़ा समझता हूँ इसलिए थोड़ा लिखता हूँ ..
सारांश
देखी और समझी के बीच का कुछ है जो लिखता हूँ ..जब भी मैं बचता हूँ अपनी रोजमर्रा में से कुछ थोड़ा सा ।।
थोड़ा जानता हूँ , थोड़ा समझता हूँ इसलिए थोड़ा लिखता हूँ ..
रिपोर्ट की समस्या
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