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चड्डी बदल गई

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हमने इंसान बदलते देखे हैं , वक्त बदलते देखा है , मौसम बदलते देखा है , चेहरे का रंग बदलते देखा है । सत्ता बदलती देखी है , न्याय बदलते देखा है । और तो और "पीते पीते जाम" को भी बदलते देखा है । इससे अधिक ...

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लेखक के बारे में
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श्री हरि

हरि का अंश, शंकर का सेवक हरिशंकर कहलाता हूँ अग्रसेन का वंशज हूँ और "गोयल" गोत्र लगाता हूँ कहने को अधिकारी हूँ पर कवियों सा मन रखता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैं दिल से करता हूँ ।। गंगाजल सा निर्मल मन , मैं मुक्त पवन सा बहता हूँ सीधी सच्ची बात मैं कहता , लाग लपेट ना करता हूँ सत्य सनातन परंपरा में आनंद का अनुभव करता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैंदिल से करता हूँ

समीक्षा
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  • author
    mohan lal
    25 नवम्बर 2024
    बहुत ही शानदार रचना की है आपने आप सार्थक रचना करते हो और मेरी रचना को रोज पढ़ाता हूं जो भी रचना आपकी है उससे मुझे ज्ञान मिलता है आशा करता हूं मेरी रचना भी पड़ेंगे एक बार तो जरुर पढ़ेंगे और अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे समीक्षा के रूप में प्रोत्साहन राशि देना ना भूले बहुत-बहुत धन्यवाद🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹
  • author
    Saral Pathak "Saral"
    26 नवम्बर 2024
    hamesha ki tarah bahut behtrin 😃
  • author
    Ashit Sharan "Ashit"
    25 नवम्बर 2024
    वाह, जवाब नही आपका।
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    mohan lal
    25 नवम्बर 2024
    बहुत ही शानदार रचना की है आपने आप सार्थक रचना करते हो और मेरी रचना को रोज पढ़ाता हूं जो भी रचना आपकी है उससे मुझे ज्ञान मिलता है आशा करता हूं मेरी रचना भी पड़ेंगे एक बार तो जरुर पढ़ेंगे और अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे समीक्षा के रूप में प्रोत्साहन राशि देना ना भूले बहुत-बहुत धन्यवाद🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹
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    Saral Pathak "Saral"
    26 नवम्बर 2024
    hamesha ki tarah bahut behtrin 😃
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    Ashit Sharan "Ashit"
    25 नवम्बर 2024
    वाह, जवाब नही आपका।