pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

चाचा का पत्र भतीजे के नाम.....

4.3
125
पत्र

प्यारे भतीजे, तुम अभी कुछ दिनों पहले धरती पर अवतरित हुए होI तुम्हारे बारे में सुनकर बहुत ख़ुशी हुईI तुम कैसे दिखते हो मुझे नहीं पताI एक चाचा होने के नाते तुम्हे वो दुलार देने की अनंत अभिलाषा हैI पर ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
दीपक जी सूरज

एक लेखक के ज़िन्दगी में शब्दों के सिवा और कोई कारगर माध्यम नहीं होता अपने मन के असीम विचारों को संसार में लाने का अर्थात वह विचारों को शब्दों में पंक्तिबद्ध करके नए कहानियों को सृजित करता है साथ हीं वर्तमान में घटित घटनाओं को अप्रत्यक्ष तरीके से समाज में प्रस्तुत करता हैi एक लेखक होना एक गौरव है तो इसमें ज़िम्मेदारियाँ भी हैं i मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में सर्वाधिक रूचि हैi और जीवन से जुड़ी कहानियों को लिखना मुझे अच्छा लगता हैi प्रतिलिपि संस्था और पाठकगण के प्यार से मुझे एक नई पहचान मिली है I आप सभी ऐसे हीं प्रोत्साहित करते रहेंI किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत टिप्पणी निषेध हैI

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    24 அக்டோபர் 2018
    अतिभावुक और निस्वार्थ रिश्तों के ताने बाने से बुना आपका पत्र .........समय की नजाकत को भला कौन पहचान सकता है ....
  • author
    आर्यन सोनी
    05 ஜூன் 2017
    अतिरोचक।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    24 அக்டோபர் 2018
    अतिभावुक और निस्वार्थ रिश्तों के ताने बाने से बुना आपका पत्र .........समय की नजाकत को भला कौन पहचान सकता है ....
  • author
    आर्यन सोनी
    05 ஜூன் 2017
    अतिरोचक।