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चाक पर चढ़ी औरत

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सुन्दर प्रतिमा ! यौवन से उफ़नाती प्रतिमा !! अप्रतिम प्रतिमा !!! सदियों पहले एक दूकानदार से उस एकमात्र स्त्रीलिंग प्रतिमा को-- एक ग्राहक ने खरीदा / कुछ सिक्कों में..... उस पुरुष ग्राहक ने छूआ उसे, कई ...

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लेखक के बारे में

शिक्षा:- --------- एम. ए. (हिंदी), डी.एल.एड., पत्रकारिता में डिप्लोमा । प्रकाशित कृतियाँ:- --------------------- बावन लघुकथाएँ (सम्पादन, 2002), ये उदास चेहरे (कविता संग्रह, 2011), कोसी की नई जमीन (संकलित, 2012) सहित विविध पत्र-पत्रिकाओं:- हंस, गगनांचल, संवदिया, युद्धरत आम आदमी, फारवर्ड प्रेस, मंडल विचार, अंबेडकर इन इंडिया, शुक्रवार, समकालीन तापमान, पायस, दैनिक जागरण, नवबिहार इत्यादि में प्रकाशित । आकाशवाणी और दूरदर्शन के कार्यक्रमों में भागीदारी । पुरस्कार/सम्मान:- ---------------------- बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार, बिहार राजभाषा विभाग पांडुलिपि अनुदान पुरस्कार, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् पुरस्कार, राष्ट्रीय कबीर पुरस्कार, जिला गौरव सम्मान, जिला उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान इत्यादि ।

समीक्षा
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    Manjit Singh
    02 जुलाई 2020
    chaak yani atta peesne ka gol pathar. purush me kaam vasna nahi hoti ,aur gun bhi hote hai. aurat sirf chaak pe nahi chadhi vo teacher bhi hai samaj-sevika bhi hai .
  • author
    Parul Muskan
    25 फ़रवरी 2022
    kaash ye smaj sudhar ske aj bhi bhut he bhtreen prastuti 👌👌
  • author
    27 अगस्त 2018
    बहुत ही विचारोत्तेजक रचना. साधुवाद स्वीकारें!
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    Manjit Singh
    02 जुलाई 2020
    chaak yani atta peesne ka gol pathar. purush me kaam vasna nahi hoti ,aur gun bhi hote hai. aurat sirf chaak pe nahi chadhi vo teacher bhi hai samaj-sevika bhi hai .
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    Parul Muskan
    25 फ़रवरी 2022
    kaash ye smaj sudhar ske aj bhi bhut he bhtreen prastuti 👌👌
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    27 अगस्त 2018
    बहुत ही विचारोत्तेजक रचना. साधुवाद स्वीकारें!