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चाह

4.4
798

कोने में मेरे मन के इक तस्वीर तुम्हारी पड़ी रही चाहूँ मैं या चाहूँ ना तू साथ हमेशा खड़ी रही छोड़ा है जो कल को मैंने वो याद संवारे अड़ी रही छोड़ूँ मैं पकडूँ या उसको मेरे जीवन की तू कड़ी रही संभव है पा ...

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लेखक के बारे में
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सौरभ वर्मा

मेरा नाम सौरभ वर्मा है। मेरी आयु 27 वर्ष है। मैं मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से स्नातक कर चुका हूँ।वर्तमान में मैं सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया में सहायक शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत हूँ| लेखन का शौक मुझे बचपन से ही रहा है। मेरे कई लेख,कहानियां तथा कवितायेँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं।                                                                             

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satendra Nath Choubey
    01 जून 2021
    बहुत सुन्दर रचना। शब्द संयोजन और भाव संयोजन बेहतरीन।
  • author
    Vivek Kumar Rajput
    05 नवम्बर 2018
    har roj nayi chahate janm leti hai
  • author
    Shivani Tripathi
    15 मार्च 2018
    बहुत ही अच्छा..
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satendra Nath Choubey
    01 जून 2021
    बहुत सुन्दर रचना। शब्द संयोजन और भाव संयोजन बेहतरीन।
  • author
    Vivek Kumar Rajput
    05 नवम्बर 2018
    har roj nayi chahate janm leti hai
  • author
    Shivani Tripathi
    15 मार्च 2018
    बहुत ही अच्छा..