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बुरके वाला लड़का ( बाल कहानी )

4.3
5884
बाल कहानी

सिनेमा हाल के मैनेजेर ने पुलिस जीप रुकते ही उनकी अगवानी की और कहा-- "सर मैं यहाँ का मैनेजर हूं, मैं ने ही आपको फोन किया था।' "ओ के, कहाँ है वह लड़का जिसे आपने में बुर्खे में पकड़ा है... किस उम्र का ...

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लेखक के बारे में

जन्म - 17 मई,1952 कासगंज, उ.प्र. शिक्षा - एम.ए. ,बी एड ( आगरा विश्वविद्यालय ) पति - लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ( एम.एससी. व्यवसायी व लेखक ) लेखन विधा - साक्षात्कार, कहानी,बाल कहानी,लघु कथा आदि प्रकाशन - नीहारिका,साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग,कादम्बिनी,उत्तरप्रदेश,राष्ट्रधर्म ,सरिता ,गृहशोभा,मनोरमा,मेरी सहेली,हिन्दी मिलाप, आदि में प्रकाशित ।कई कहानियाँ पुरस्कृत, आकाशवाणी व दूरदर्शन से रचनाएँ प्रसारित ।कुछ रचनाओं का तेलगू,पंजाबी,मराठी में अनुवाद। लघु कथाएं - हंस, कथादेश, कादम्बिनी,मनोरमा,तारिका,वीणा ,सरस्वती सुमन,सादर इंडिया, हिंदी चेतना (कनाडा )अभिनव इमरोज ,पंजाबी संस्कृति,हम सब साथ साथ,अक्षर शिल्पी,अक्षर खबर,प्रेरणा अंशु आदि में तथा कई नेट पत्रिकाओं में प्रकाशित । बाल कहानियाँ- पराग,चंपक,बालहंस,बालभारती,बालवाणी बच्चों का देश ,बाल वाटिका,साक्षात्कार , देवपुत्र,राष्ट्रघर्म आदि में प्रकाशित। कई कहानियाँ संकलित । पुस्तकें 1 "पहला कदम' (कहानी संग्रह )1997 2 उजाले दूर नहीं' (कहानी संग्रह )2010 3 फूलों से प्यार ( बाल कहानी संग्रह ) 2012 4 चिड़िया मैं बन जाऊं ( बाल कहानी संग्रह ) 2014 5 आँगन से राजपथ (लघु कथा संग्रह ) 2015 फूलों से प्यार ( बाल कहानी संग्रह )का तेलगु में अनुवाद (शीघ्र प्रकाश्य ) पुरस्कार ----"यमुना बाई हिन्दी लेखक पुरस्कार'(1998 ) "साहित्य गरिमा पुरस्कार' (2000 ) तुलसी साहित्य सम्मान (भोपाल – 2014 ) बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध संस्थान ( भोपाल द्वारा सम्मान 2015 ) नेशनल पुरस्कार ---प्रकाशन विभाग दिल्ली द्वारा" फूलों से प्यार " बाल कहानी संग्रह पर 201२ का द्वितीय भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार मिला

समीक्षा
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  • author
    Hemalata Godbole
    23 March 2020
    बच्चे ऐसा करे नही पर जरा से बच्चों को इतनी पिटाई की जरुरत नही विश्वास मे लेकर घरलेजाकर भी पूछ सकते थे ।पुलिस के ऐसे रवैये से ही लोग सच्ची बात बताने मदद करने से बचते हैं ।पुलिस को तो हाथ साफ करने पैसे ऐंठने का बहाना चाहिए । शुभकामनाएँ
  • author
    Kishwar Anjum
    31 August 2019
    नादानी में ही सही पर बच्चों का ऐसा करना ग़लत है। आज ऐसा माहोल हो गया है कि सार्वजानिक जगहों पर मज़ाक में भी ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए जो संदेह उत्पन्न करे। और फिर नाम भी मुस्लिम, शक तो करेंगे ही।
  • author
    Vijay Dua
    28 February 2019
    Interesting story ( I have not Hindi font)
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    Hemalata Godbole
    23 March 2020
    बच्चे ऐसा करे नही पर जरा से बच्चों को इतनी पिटाई की जरुरत नही विश्वास मे लेकर घरलेजाकर भी पूछ सकते थे ।पुलिस के ऐसे रवैये से ही लोग सच्ची बात बताने मदद करने से बचते हैं ।पुलिस को तो हाथ साफ करने पैसे ऐंठने का बहाना चाहिए । शुभकामनाएँ
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    Kishwar Anjum
    31 August 2019
    नादानी में ही सही पर बच्चों का ऐसा करना ग़लत है। आज ऐसा माहोल हो गया है कि सार्वजानिक जगहों पर मज़ाक में भी ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए जो संदेह उत्पन्न करे। और फिर नाम भी मुस्लिम, शक तो करेंगे ही।
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    Vijay Dua
    28 February 2019
    Interesting story ( I have not Hindi font)