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बुनियाद

4.5
396

बदलते मौसम में करार कर लेंगे हम वो है जो तूफ़ां में भी दरिया पार कर लेंगे । तुम्हे डर है तो डरना छोड़ दो ये दोस्त, ये ज़िन्दगी है हँसते-हँसते पार कर लेंगे । उम्र है नासाज़ ये बोझ ढोने में, तो क्या हुआ हम ...

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लेखक के बारे में

मैं एक राहगीर हूँ ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    24 अगस्त 2022
    वृद्धावस्था में साहस का संचार करती सुन्दर रचना । साधुवाद
  • author
    renu kapoor very innovative
    23 जून 2022
    क्या खूब लिखा है आपने
  • author
    Apurva Jain
    11 दिसम्बर 2024
    nice
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    24 अगस्त 2022
    वृद्धावस्था में साहस का संचार करती सुन्दर रचना । साधुवाद
  • author
    renu kapoor very innovative
    23 जून 2022
    क्या खूब लिखा है आपने
  • author
    Apurva Jain
    11 दिसम्बर 2024
    nice