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बुढ़ऊ का विवाह

4.9
106

आज मैं आपके सामने अवध के प्रसिद्ध कवि रमई काका की एक बहुत पुरानी कविता बुढ़ऊ का विवाह जो मैंने स्वयं उनके मुंह से सुनी थी आपकी जानकारी के लिए अवधी भाषा में लिखी गई प्रस्तुत कर रहा हूं पढ़िए और अपनी ...

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लेखक के बारे में
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krishnakant shukla

मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Priyanka गर्ग
    22 नवम्बर 2022
    सुन्दर
  • author
    Vinita Shukla
    22 सितम्बर 2022
    maja aa gaya bahut khubsurat hai rami kaka ke mukh se suna tha achchi yad dila di aapne
  • author
    22 सितम्बर 2022
    बेहतरीन रचना है 👌👌👌👌👌
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  • author
    Priyanka गर्ग
    22 नवम्बर 2022
    सुन्दर
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    Vinita Shukla
    22 सितम्बर 2022
    maja aa gaya bahut khubsurat hai rami kaka ke mukh se suna tha achchi yad dila di aapne
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    22 सितम्बर 2022
    बेहतरीन रचना है 👌👌👌👌👌