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बूढ़ा और बुढ़िया

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एक बूढ़ा और बुढ़िया थे। उनको भूलने की और कम सुनने की बीमारी थी। वे दोनों अब भी दूसरे से बहुत प्यार करते थे।शहर से बाहर बनी झोपड़ी खुशी-खुशी अपने दिन व्यतीत कर रहे थे। बूढ़ा खुद को जवान समझता। ...

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लेखक के बारे में

"कल तुम नही रहोगे" 'मृत्यु' एक शाश्वत सत्य है। 'मृत्यु' शब्द को इग्नोर न करें। 'मृत्यु' शब्द का मंथन करें। भय आनन्द में परिवर्तित हो जाएगा।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jaya Yadav
    21 अप्रैल 2020
    वृद्धावस्था में अपने जीवन साथी से ज्यादा मोह हो जाता है। दोनों को एक दूसरे की आदत हो जाती है। एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते। वृद्धावस्था बहुत कष्टकारी है बस उसे जीना आना चाहिए। जैसे ये दोनों जी रहे हैं.... एक दूसरे के साथ.... अच्छी रचना
  • author
    P.s. Lovwanshi
    11 जून 2020
    ठीक है ज्यादा अच्छी नही कह सकता कहानी में धरातल का अभाव है 90 साल की उम्र में बिना किसी सहयोग या कमाई का साधन या आसरा के बारे में कुछ नही बताया और फिर दोनों ही अलग अलग बाजार जाना । ज्यादा कुछ समझ नही आया । लेकिन किसी की मेहनत से लिखी हुई किसी की रचना को प्रोत्साहित करना हर पाठक का स्वधर्म होना चाहिए क्योंकि हमें तो इतना भी नही आता । भविष्य के लिए रचनाकार को शुभकामनाएं 🌸🌸💞
  • author
    Shekhar Dubey
    11 मई 2020
    बहुत ही स्वाभाविक एवम जीवंत कहानी । गति है, प्रवाह है, वास्तविकता है, सभी कुछ तो है। शानदार कहानी । ऐसा लगता है कि अपने आस पास ही घटित हो रही है । प्यार और समर्पण की पराकाष्ठा दिखाई है लेकिन वो काल्पनिक नही वास्तविक लगती है । लेखक को बधाई ।
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    Jaya Yadav
    21 अप्रैल 2020
    वृद्धावस्था में अपने जीवन साथी से ज्यादा मोह हो जाता है। दोनों को एक दूसरे की आदत हो जाती है। एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते। वृद्धावस्था बहुत कष्टकारी है बस उसे जीना आना चाहिए। जैसे ये दोनों जी रहे हैं.... एक दूसरे के साथ.... अच्छी रचना
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    P.s. Lovwanshi
    11 जून 2020
    ठीक है ज्यादा अच्छी नही कह सकता कहानी में धरातल का अभाव है 90 साल की उम्र में बिना किसी सहयोग या कमाई का साधन या आसरा के बारे में कुछ नही बताया और फिर दोनों ही अलग अलग बाजार जाना । ज्यादा कुछ समझ नही आया । लेकिन किसी की मेहनत से लिखी हुई किसी की रचना को प्रोत्साहित करना हर पाठक का स्वधर्म होना चाहिए क्योंकि हमें तो इतना भी नही आता । भविष्य के लिए रचनाकार को शुभकामनाएं 🌸🌸💞
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    Shekhar Dubey
    11 मई 2020
    बहुत ही स्वाभाविक एवम जीवंत कहानी । गति है, प्रवाह है, वास्तविकता है, सभी कुछ तो है। शानदार कहानी । ऐसा लगता है कि अपने आस पास ही घटित हो रही है । प्यार और समर्पण की पराकाष्ठा दिखाई है लेकिन वो काल्पनिक नही वास्तविक लगती है । लेखक को बधाई ।