बीच सड़क के किनारे एक लैंप पोस्ट के नीचे एक बूढ़े बाबा को देख लोग तरह तरह की बातें बना रहे थे । दुबले पतले से बाबा रोज़ इसी तरह आकर मुंह नीचे किये बैठे मिलते । " अरे बाबा आप कौन हैं , आप यहाँ रोज़ क्यों ...
२४ साल की नौकरी के बाद अब लेखन की और बढ़ रही हूँ | प्रोफेशनल लेखक नहीं हूँ , पर हाँ कुछ सार्थक लिख पाऊं यह तमन्ना जरुर है | साहित्य की विद्यार्थी बनकर रहना चाहूंगी |
सारांश
२४ साल की नौकरी के बाद अब लेखन की और बढ़ रही हूँ | प्रोफेशनल लेखक नहीं हूँ , पर हाँ कुछ सार्थक लिख पाऊं यह तमन्ना जरुर है | साहित्य की विद्यार्थी बनकर रहना चाहूंगी |
रिपोर्ट की समस्या
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