बोलू तो शब्द सबको चुभते है न बोलू तो वो मेरे अंदर चुभते है।। शब्द आज़ाद नही उनको भी प्यार की डोर से बंधना पड़ता है।। छलकता है शब्दो मे मिठास बिंध जाने पे ही शब्दों में निखार आता है मोती सी माला बन ...
चित्रकार,पत्रकार,साहित्यकार
जीव विज्ञान की व्याख्याता (पच्चीस साल)रही, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य राज उच्च माध्यमिक विद्यालय से
अब तक खूब पढ़ा, पढ़ाया अब कुछ सालों से लगातार लेखन का प्रयास।
सारांश
चित्रकार,पत्रकार,साहित्यकार
जीव विज्ञान की व्याख्याता (पच्चीस साल)रही, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य राज उच्च माध्यमिक विद्यालय से
अब तक खूब पढ़ा, पढ़ाया अब कुछ सालों से लगातार लेखन का प्रयास।
🙏🙏🙏
अपने बहुत ही गंभीर तरीका से तथा दिल की गहराइयों से लिखा है'
मुझे आपकी रचना पसंद आई आपसे अनुरोध है
मैं आपके सामने तीन रचना का नाम रखता हूं, जो मेरे बहुत हिंदी के करीब है, अगर आप पढ़ कर उसमें समीक्षा कर दें तो बहुत खुशी होगी, पहला है इस पिता के पास दो दिल है, दूसरा है मेरी आत्मग्लानि, तीसरा है रोने की प्रथा, आपकी समीक्षा से मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी,
रिपोर्ट की समस्या
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अपने बहुत ही गंभीर तरीका से तथा दिल की गहराइयों से लिखा है'
मुझे आपकी रचना पसंद आई आपसे अनुरोध है
मैं आपके सामने तीन रचना का नाम रखता हूं, जो मेरे बहुत हिंदी के करीब है, अगर आप पढ़ कर उसमें समीक्षा कर दें तो बहुत खुशी होगी, पहला है इस पिता के पास दो दिल है, दूसरा है मेरी आत्मग्लानि, तीसरा है रोने की प्रथा, आपकी समीक्षा से मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी,
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