“क्या बात है संध्या, तुम्हें तो खुश होना चाहिए और तुम्हारे चेहरे पर टेंशन दिख रहा है |’ – ऑफिस में मीटिंग के बाद निरुपमा ने संध्या की पीठ पर हलके से धौल जमाते हुए कहा | निरुपमा संध्या की कलिग थी ...
This account is for Team Pratilipi. Members of team pratilipi have participated in an internal writing competition. They were given the topics to write on and the deadline was 24 hours. In total, 12 people have participated.
सारांश
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कहानी अच्छी है पर इतना नजदीक आने के बाद संस्कार भी जीत सकता है ये तो प्रतिलिपि में ही हो सकता है और जिस तरह से सभी तरह के पाठकों ने इसे अधूरी कहानी लिखा है इतना तो पता लगता ही है कि सभी बॉडी मसाज को पूरा होता हुआ देखना चाह रहे थे एक तरफ तो सभी को ऐसी बॉडी मसाज देखनी/ पढनी है पर दूसरी तरफ ये सब चीजें दोनों के लिए गंदी भी है वैसे यही सच्चाई भी है आज की कामकाजी महिलाओं की इसी वजह से उनके घर वाले ही उन पर भरोसा नहीं करते तो बाहर वाले तो ऐसा वैसा सोचेंगे ही
साथ ही यहां हर महिला को यह भी ध्यान रखना चाहिए जो खुशी परिवार के साथ है वह अकेले में किसी गैर मर्द के साथ तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती है मॉडर्न बनिए पर अपने कैरेक्टर के साथ , अपनी वैल्यू के साथ।
✍️✍️
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Bht bhadiya...Samaaz me chahe kuch bhi lekin hamko hamri values kabhi nhi bhoolni chahiye ....Chahe kisi husband kesa hai wife kesi hai ye excuse karke koi apni characterless hone ko justify nahi kar sakta...I think agar charitra gaya yani character gaya to sab kuch gaya
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कहानी अच्छी है पर इतना नजदीक आने के बाद संस्कार भी जीत सकता है ये तो प्रतिलिपि में ही हो सकता है और जिस तरह से सभी तरह के पाठकों ने इसे अधूरी कहानी लिखा है इतना तो पता लगता ही है कि सभी बॉडी मसाज को पूरा होता हुआ देखना चाह रहे थे एक तरफ तो सभी को ऐसी बॉडी मसाज देखनी/ पढनी है पर दूसरी तरफ ये सब चीजें दोनों के लिए गंदी भी है वैसे यही सच्चाई भी है आज की कामकाजी महिलाओं की इसी वजह से उनके घर वाले ही उन पर भरोसा नहीं करते तो बाहर वाले तो ऐसा वैसा सोचेंगे ही
साथ ही यहां हर महिला को यह भी ध्यान रखना चाहिए जो खुशी परिवार के साथ है वह अकेले में किसी गैर मर्द के साथ तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती है मॉडर्न बनिए पर अपने कैरेक्टर के साथ , अपनी वैल्यू के साथ।
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