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बिना जुर्म के जेल

4.1
381

बिना जुर्म के जेल राजीव आनंद एक दार्शनिक ने बताया न्याय का हाल लिखित कानून है एक मकड़जाल अमीर जिससे निकल जाते है फाड़ फंसकर निर्धन बेचारा हो जाता है बेहाल दूसरे दार्शनिक ने दिया वक्तव्य कानून पर शासन ...

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लेखक के बारे में
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राजीव आनंद
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    26 अक्टूबर 2022
    गरीबों को भी न्याय सुलभ कराने को प्रेरित करती सुन्दर रचना । हार्दिक साधुवाद
  • author
    Manjit Singh
    07 अप्रैल 2021
    सही कहा,गरीब के पास रिश्वत के लिए पैसे नहीं होते,अमीर रिश्वत देकर छूट जाता है
  • author
    Rishu Shukla
    15 दिसम्बर 2021
    good
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  • author
    अरविन्द सिन्हा
    26 अक्टूबर 2022
    गरीबों को भी न्याय सुलभ कराने को प्रेरित करती सुन्दर रचना । हार्दिक साधुवाद
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    Manjit Singh
    07 अप्रैल 2021
    सही कहा,गरीब के पास रिश्वत के लिए पैसे नहीं होते,अमीर रिश्वत देकर छूट जाता है
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    Rishu Shukla
    15 दिसम्बर 2021
    good