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बिन पैसे के दिन

4.5
278

एसे ही घूमते रहना काम माँगते धाम बदलते पालीथीन के झोले के तरह नालियों में बहता कभी किसी पत्थर से टकराता कभी मेढ़क से इस कोलतार के ड्रम से निकल उस कोलतार के ड्रम में फँसता कभी नवजात शिशु की ...

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लेखक के बारे में

नाम : मनोज कुमार झा मूल स्थान : दरभंगा, बिहार शैक्षिक उपाधि : बी.ए. (गणित प्रतिष्ठा), एम. ए. (हिन्दी)

समीक्षा
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  • author
    विकास कुमार
    24 अप्रैल 2018
    वाह
  • author
    Manjit Singh
    03 जुलाई 2020
    kavita gahri goodh yani Alfaaz uch koti ke hai
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    विकास कुमार
    24 अप्रैल 2018
    वाह
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    Manjit Singh
    03 जुलाई 2020
    kavita gahri goodh yani Alfaaz uch koti ke hai