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बिखरी अभिलाषा

4.0
443

आशाओं का धुंधला सूरज ह्रदय में मेरे डूब रहा है बिखरी बिखरी अभिलाषाओं ने मन से नाता तोड़ लिया है पद्वलित कर इच्छाओं को पा ली है जगह वेदना ने इस छोटे जीवन बगिया में कांटे ही कांटे बिखरे हैं ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Saroj Pandey
    16 ডিসেম্বর 2016
    Bahut khoob. Good bless u Beta
  • author
    मल्हार
    02 জুন 2020
    👌👌👌
  • author
    BHUSHAN KHARE
    17 মে 2018
    बहुत अच्छी रचना
  • author
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  • author
    Saroj Pandey
    16 ডিসেম্বর 2016
    Bahut khoob. Good bless u Beta
  • author
    मल्हार
    02 জুন 2020
    👌👌👌
  • author
    BHUSHAN KHARE
    17 মে 2018
    बहुत अच्छी रचना