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हिन्दी

बिखेरती मुस्कान

4.2
12728

लघुकथा

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लेखक के बारे में
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Akanskha Rajeev Mishra

नाम- आकांक्षा राजीव मिश्रा जन्म- 21 दिसम्बर 1991 जन्मस्थान- आज़ाद नगर हरदोई(उत्तर प्रदेश) शिक्षा-स्नातक (बी.एस. सी). लाल बहादुर शास्त्री परास्नातक कॉलेज गोंडा. लेखन- दैनिक और साप्ताहिक अखबारों में कविताये.लघुकथाएं, शायरी,सामाजिक लेख, रुचि- कविताये लिखना पसन्द है ,समाजसेविका बनकर लोगो की सेवा करना चाहती हूं। और जिंदगी का यही उद्देश्य है। संगीत सुनना,और कुकिंग करना भी पसन्द है। लेखन की शुरुआत-  मैंने कविताये तो  2016 में लिखी थी।मगर कभी सोचा ही नही की इनको लोगो तक पहुँच सके। हिन्दी साहित्य में आने में आने की वजह यही है कि मैं हिन्दी को समझूँ और लोगो तक अपने विचारों को व्यक्त करूँ। और मैं बहुत शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरी कविताओं को मुकाम तक पहुँचाया ।मैं बहुत आभारी हूँ कि मेरी रचनाओं लोगो को पसन्द आ रही है। मुझे अतिप्रसन्नता है कि मेरी रचनाये लोगो ने पसन्द की।बस यही एकमात्र उद्देश्य है कि हिन्दी साहित्य जगत में लोगो तक मेरी रचनाये पढ़ी जाएं। कहानियां लिखना भी पसन्द है।और अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है ।जज्बातो से लिखी मेरी ये सभी रचनाये है। ट्विटर एकाउंट -UpasnaPandey4. ब्लॉग-Upasnamerasafr.blogspot.in ई- मेल- akankshaPandey@ gmail.com फेसबुक-Upasna Pandey(आकांक्षा)

समीक्षा
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    Kumud Rai
    01 मई 2018
    Ishwar kuch logo ko hi chunta hai kisi ki madat k liye... Agr hm b kisi ki madat krte hai to maniye ki hm ishwar ka kaam kr rhe
  • author
    नरेंद्र "गदाधर"
    15 अक्टूबर 2018
    कुछ साल पहले दिवाली आने वाली थी और मैं अपने ऑफिस से घर के लिए ट्रैन से आ रहा था, एक आदमी ट्रैन की कोच में नीचे बैठा हुआ था, फटे हुए कपडे, गन्दा सा चेहरा जैसे महीनो से नहाया नहीं हो| ना जाने मन में क्या आया और मैंने अपने ऑफिस से मिली मिठाई का डिब्बा उसको थमा दिया और वो बड़े ही चाव से वहीँ खोलकर मिठाई खाने लगा| अच्छा या बुरा मैं नहीं जानता पर शायद वो उस मिठाई का बेहतर हकदार था|
  • author
    Armaan Khan
    01 मई 2018
    Very nice.Concept was good.
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    Kumud Rai
    01 मई 2018
    Ishwar kuch logo ko hi chunta hai kisi ki madat k liye... Agr hm b kisi ki madat krte hai to maniye ki hm ishwar ka kaam kr rhe
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    नरेंद्र "गदाधर"
    15 अक्टूबर 2018
    कुछ साल पहले दिवाली आने वाली थी और मैं अपने ऑफिस से घर के लिए ट्रैन से आ रहा था, एक आदमी ट्रैन की कोच में नीचे बैठा हुआ था, फटे हुए कपडे, गन्दा सा चेहरा जैसे महीनो से नहाया नहीं हो| ना जाने मन में क्या आया और मैंने अपने ऑफिस से मिली मिठाई का डिब्बा उसको थमा दिया और वो बड़े ही चाव से वहीँ खोलकर मिठाई खाने लगा| अच्छा या बुरा मैं नहीं जानता पर शायद वो उस मिठाई का बेहतर हकदार था|
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    Armaan Khan
    01 मई 2018
    Very nice.Concept was good.