उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा अनुदान प्राप्त पुस्तक, "वामा - मुखर मौन की संवाहक" की लेखिका।
मन की बातें करती हूँ, लफ़्ज़ों की पोटली संग लेकर चलती हूँ।अनकहे जज़्बातों को काग़ज़ पर उकेरती हूँ।विधा चाहे कोई भी हो,बस कलम का सहारा ले लोगों के दिलों तक पहुच सकूं यही मेरी कोशिश रहेगी
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