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बिबाह मे सप्तपदी के सात वचन,,,, एक अवलोकन।

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पीछले सप्ताह पेपर मे देखा, माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद का एक फैसला हिन्दू बिबाह के मुद्दे पर आया था। माननीय न्यायाधीश महोदय ने स्पष्ट कर दिया था, जबतक मंडप मे सप्त पदी के सात फेरे नहीं हो जाते, ...

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    Megha Srivastava
    06 अक्टूबर 2023
    बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना लिखी हैं आपने इतना गहराई से लिखना हिंदी और संस्कृत ये आप ही कर सकते हैं। बहुत से लोगो की यादें ताज़ा हो गई होंगी,... लेकिन मेरा मत दूसरों से भिन्न है। की शादी कोई भी या कैसी भी हो,लव या फिर अरेंज.. दोनो ही शादी में कॉम्परमाइज करना होता है लड़के को भी और लड़की को भी,मेरे अपने आंखों देखे रिश्ते है जिनमें लव मैरिज भी बहुत कामयाब रही है,....और ऐसे भी जिनकी अरेंज मैरिज है उनके अगल होने ,( तलाक) हालांकि यह हमारी संस्कृति में नहीं है, लेकिन अब तो होने लगा है, दोनों ही शादी की अपने-अपने फायदे भी है और कुछ नुकसान भी है,.... लव मैरिज का नुकसान ये की दोनो अपने घर वापस नहीं जा सकते,और ना ही ak दूजे की शिकायत कर सकते,क्योंकि घर वालो के तानो का डर सताता है कि तुमने अपनी मर्जी से की है अब तुम ही जानो,...कोई स्पोर्ट नही मिलती,और नतीजा यह होता है कि एक दूसरे से लड़ाई करने के बाद दो एक दिन या कुछ घंटे गुजर के बाद खुद को ही एक दूसरे को मना लेते हैं,....और अरेंज में लड़ाई के बाद पत्नी ने बैग पैक किया और आ गई मायके,(हालाकि पहले की औरतें ऐसा नहीं किया करती थी) आज की बात हो रही है,मायके में सिखाने वालो की कमी नही,...फोन पर कितनी बात होगी पति से कुछ गुस्सा किया तो काट दो फोन,... सामने में रह कर लड़ाई जल्दी खत्म हो जाती है बजाए दूर रहने के ,सामने से पति को अगर पत्नी ने एक चाय बना कर दे दी झगड़ा खत्म वही शाम को पति 20,40 रुपए वाला गजरा भी ले आए तो भी लड़ाई खत्म ,मुंह से कुछ न बोले मगर मुस्कान तो आ ही जायेगी।...इस टॉपिक पर सब की अपनी अलग-अलग राय हो सकती है लेकिन कुछ भी हो शादी के टिकती वही है जब दोनों एक दूजे के परिवार को ,एक दूजे को सम्मान से,दोनो अपने-अपने परिवारों,और परिवारों के साथ जुड़े हुए और भी रिश्तों को साथ-साथ लेकर चले तभी जिंदगी हंसी खुशी अच्छे से कटती है,..... भले ही व्हाट्सएप पर फेसबुक पर कितने चुटकुले बनकर आ जाए लेकिन हकीकत यही है की पति और पत्नी से खुबसूरत रिश्ता कोई नही,....दो अंजान लोग मिलकर एक परिवार बनाते है,...उनसे नए रिश्ते पनपते है,... ये एहसास बहुत ही सुखद होता है। राधे राधे जय श्री कृष्णा।
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    Ranjana Yadav
    07 अक्टूबर 2023
    गाँव की शादियों में तो हमने सिर्फ़ भसुर तक ही देखी हैं शादी या फिर फेरे लेते वक्त...इतने प्राचीन शास्त्रों में स्त्री ने सिर्फ़ सुरक्षा ,आत्म सम्मान, परिवार का मान ,संस्कृति को ही माँगा हैं और आज भी माँग रही...विचारणीय हैं पुरुष ने मित्र , गीत ,आनंद आदि का साथ माँगा हैं यह भी विचारणीय हैं। मैंने एक दो मंत्र ही पढ़े थे... क्योंकि मेरी रूचि विवाह जैसे विषय में विल्कुल नही हैं ...ऐसा नही है हमें संस्कृत आती नही या शास्त्र नही पढ़ते...पढ़ते हैं पर यह विषय विवाह नही देखा ज्यादा या पढ़ा...🙌 आज यहाँ पढ़ने को मिला ...जिसके लिए धन्यवाद आपका बाबा जी ... आपने अनुवाद भी कर रखा हैं जो पाठक के लिए जरूरी भी हैं... आभार इस लेख के लिए🙏🙏🙏🙌🙌👍🍁🍁
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    Sunita Singh
    06 अक्टूबर 2023
    बहुत ही अनमोल जानकारी दी आपने 🙏🙏यु तो मैंने कई बार पढ़े है साथ फेरो का अर्थ लेकिन आपकी लेखनी ने उसे , और बेहतर तरिके से समझने मे मदद की ☺️... नहीं तो पहले बस यही समझती रहती थी, वर और वधू दोनो हर राह मे साथ देगे एक दूसरे का, परिवार की इज्जत करेंगे आदि लेकिन आज न हर फेरो का सही अर्थ और यह इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, यह भी जाना... हमारे शास्त्रों से ही ज्ञात होता है कि स्त्री जाती की कितनी इज्जत होती है, लेकिन अब बस स्त्री एक वस्तु के समान बन गई है... यदि वधू अपने होने वाले सास ससुर को अपने माता पिता का प्यार दे सकती है, उनको इज्जत दे सकती है.. तो यही वर अपने सास ससुर के प्रति क्यों नहीं करता... जिसे देखो हर दामाद को अपने ससुराल वाले पक्ष आफत की पुड़िया लगते है... और वर द्वारा हर स्त्री को माता बहन मानने के बजाय गुल खिलाते है.. रिश्तो की तो मर्यादा ही तोड़ दिए.... कितने ही केसेस आते है जिसमे जीजा ने अपने साली के साथ अवैध संबंध बनाये और दोनो फरार हो गए.... कितनी शर्मिंदी वाली बात है... एक स्त्री होकर दूसरी स्त्री का घर उजाड़ती है और पति भी अपने पत्नी का त्याग को भूलकर नया रंग दिखाता है.... समीक्षा बहुत लम्बी हो जाएगी यह इसीलिए आगे की बात अगले भाग मे कहुगी. जानती हुँ हर कोई एक जैसा नहीं होता लेकिन आजकल हर कोई दूध के धुले हुए भी नहीं होता.... अब बस पति पत्नी अपने नाममात्र के रिश्ते को धोती है... कुछ गलत कह दिया हो तो प्लीज माफ कर देना लेकिन ज़ब भी रिश्तो मे विश्वास की बात आती है तो मेरा दिमाग़ खराब हो जाता है 🙏🙏 अगले भाग का बेसब्री से इंतजार है 🥰🥰
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    Megha Srivastava
    06 अक्टूबर 2023
    बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना लिखी हैं आपने इतना गहराई से लिखना हिंदी और संस्कृत ये आप ही कर सकते हैं। बहुत से लोगो की यादें ताज़ा हो गई होंगी,... लेकिन मेरा मत दूसरों से भिन्न है। की शादी कोई भी या कैसी भी हो,लव या फिर अरेंज.. दोनो ही शादी में कॉम्परमाइज करना होता है लड़के को भी और लड़की को भी,मेरे अपने आंखों देखे रिश्ते है जिनमें लव मैरिज भी बहुत कामयाब रही है,....और ऐसे भी जिनकी अरेंज मैरिज है उनके अगल होने ,( तलाक) हालांकि यह हमारी संस्कृति में नहीं है, लेकिन अब तो होने लगा है, दोनों ही शादी की अपने-अपने फायदे भी है और कुछ नुकसान भी है,.... लव मैरिज का नुकसान ये की दोनो अपने घर वापस नहीं जा सकते,और ना ही ak दूजे की शिकायत कर सकते,क्योंकि घर वालो के तानो का डर सताता है कि तुमने अपनी मर्जी से की है अब तुम ही जानो,...कोई स्पोर्ट नही मिलती,और नतीजा यह होता है कि एक दूसरे से लड़ाई करने के बाद दो एक दिन या कुछ घंटे गुजर के बाद खुद को ही एक दूसरे को मना लेते हैं,....और अरेंज में लड़ाई के बाद पत्नी ने बैग पैक किया और आ गई मायके,(हालाकि पहले की औरतें ऐसा नहीं किया करती थी) आज की बात हो रही है,मायके में सिखाने वालो की कमी नही,...फोन पर कितनी बात होगी पति से कुछ गुस्सा किया तो काट दो फोन,... सामने में रह कर लड़ाई जल्दी खत्म हो जाती है बजाए दूर रहने के ,सामने से पति को अगर पत्नी ने एक चाय बना कर दे दी झगड़ा खत्म वही शाम को पति 20,40 रुपए वाला गजरा भी ले आए तो भी लड़ाई खत्म ,मुंह से कुछ न बोले मगर मुस्कान तो आ ही जायेगी।...इस टॉपिक पर सब की अपनी अलग-अलग राय हो सकती है लेकिन कुछ भी हो शादी के टिकती वही है जब दोनों एक दूजे के परिवार को ,एक दूजे को सम्मान से,दोनो अपने-अपने परिवारों,और परिवारों के साथ जुड़े हुए और भी रिश्तों को साथ-साथ लेकर चले तभी जिंदगी हंसी खुशी अच्छे से कटती है,..... भले ही व्हाट्सएप पर फेसबुक पर कितने चुटकुले बनकर आ जाए लेकिन हकीकत यही है की पति और पत्नी से खुबसूरत रिश्ता कोई नही,....दो अंजान लोग मिलकर एक परिवार बनाते है,...उनसे नए रिश्ते पनपते है,... ये एहसास बहुत ही सुखद होता है। राधे राधे जय श्री कृष्णा।
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    Ranjana Yadav
    07 अक्टूबर 2023
    गाँव की शादियों में तो हमने सिर्फ़ भसुर तक ही देखी हैं शादी या फिर फेरे लेते वक्त...इतने प्राचीन शास्त्रों में स्त्री ने सिर्फ़ सुरक्षा ,आत्म सम्मान, परिवार का मान ,संस्कृति को ही माँगा हैं और आज भी माँग रही...विचारणीय हैं पुरुष ने मित्र , गीत ,आनंद आदि का साथ माँगा हैं यह भी विचारणीय हैं। मैंने एक दो मंत्र ही पढ़े थे... क्योंकि मेरी रूचि विवाह जैसे विषय में विल्कुल नही हैं ...ऐसा नही है हमें संस्कृत आती नही या शास्त्र नही पढ़ते...पढ़ते हैं पर यह विषय विवाह नही देखा ज्यादा या पढ़ा...🙌 आज यहाँ पढ़ने को मिला ...जिसके लिए धन्यवाद आपका बाबा जी ... आपने अनुवाद भी कर रखा हैं जो पाठक के लिए जरूरी भी हैं... आभार इस लेख के लिए🙏🙏🙏🙌🙌👍🍁🍁
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    Sunita Singh
    06 अक्टूबर 2023
    बहुत ही अनमोल जानकारी दी आपने 🙏🙏यु तो मैंने कई बार पढ़े है साथ फेरो का अर्थ लेकिन आपकी लेखनी ने उसे , और बेहतर तरिके से समझने मे मदद की ☺️... नहीं तो पहले बस यही समझती रहती थी, वर और वधू दोनो हर राह मे साथ देगे एक दूसरे का, परिवार की इज्जत करेंगे आदि लेकिन आज न हर फेरो का सही अर्थ और यह इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, यह भी जाना... हमारे शास्त्रों से ही ज्ञात होता है कि स्त्री जाती की कितनी इज्जत होती है, लेकिन अब बस स्त्री एक वस्तु के समान बन गई है... यदि वधू अपने होने वाले सास ससुर को अपने माता पिता का प्यार दे सकती है, उनको इज्जत दे सकती है.. तो यही वर अपने सास ससुर के प्रति क्यों नहीं करता... जिसे देखो हर दामाद को अपने ससुराल वाले पक्ष आफत की पुड़िया लगते है... और वर द्वारा हर स्त्री को माता बहन मानने के बजाय गुल खिलाते है.. रिश्तो की तो मर्यादा ही तोड़ दिए.... कितने ही केसेस आते है जिसमे जीजा ने अपने साली के साथ अवैध संबंध बनाये और दोनो फरार हो गए.... कितनी शर्मिंदी वाली बात है... एक स्त्री होकर दूसरी स्त्री का घर उजाड़ती है और पति भी अपने पत्नी का त्याग को भूलकर नया रंग दिखाता है.... समीक्षा बहुत लम्बी हो जाएगी यह इसीलिए आगे की बात अगले भाग मे कहुगी. जानती हुँ हर कोई एक जैसा नहीं होता लेकिन आजकल हर कोई दूध के धुले हुए भी नहीं होता.... अब बस पति पत्नी अपने नाममात्र के रिश्ते को धोती है... कुछ गलत कह दिया हो तो प्लीज माफ कर देना लेकिन ज़ब भी रिश्तो मे विश्वास की बात आती है तो मेरा दिमाग़ खराब हो जाता है 🙏🙏 अगले भाग का बेसब्री से इंतजार है 🥰🥰