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भोर की बेला

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रात के ख्वाब उतर पलकों से चलकर साथ सहर तक आये सारी कोशिश करके थक गए घर तक तेरे पहुँच ना पाये रात गयी अब बात रह गयी धुंधले हो गए रोशन साये देखो दी है ऊषा ने दस्तक भोर की बेला,तुम याद आये दिवस उजागर ...