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भोपाल गैस त्रासदी

4.1
944

तुम्हारे शहर में जहर चख लेते हैं चंद लोग !! मेरे पूरे शहर ने जहर की दावत उड़ाई थी उस रात ... कुछ ही देर में फ़िज़ाओं ने बदला था रंग काली सी स्याही बादलों में छायी थी उस रात... आँखों में छाले और गले में ...

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लेखक के बारे में

वो लिखती हूँ जो जिया है । उनके लिए लिखती हूँ जो जीती हैं पर लिख नहीं पाती । और लिखती हूँ शायद इसलिए जी रही हूँ । उम्मीद है जब तक जिऊँ , लिखती रहूँ :)

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    PANKAJ KUMAR SRIVASTAVA
    30 मार्च 2020
    अच्छी रचना। मेरी रचनाये भी पढे व अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे
  • author
    26 फ़रवरी 2018
    apne us rat ka manjar yaad dila diya nice
  • author
    Simmi Naved
    24 जुलाई 2020
    ji bahut kuchh ghata us rat
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    PANKAJ KUMAR SRIVASTAVA
    30 मार्च 2020
    अच्छी रचना। मेरी रचनाये भी पढे व अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे
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    26 फ़रवरी 2018
    apne us rat ka manjar yaad dila diya nice
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    Simmi Naved
    24 जुलाई 2020
    ji bahut kuchh ghata us rat