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भूख की तड़प

4.2
550

भूख की तड़प बिलख बिलख कर रोई तू आया न कोई चुपाने किसी के घर में दाल पकी है ? कोई तो आये बताने, किस्मत तेरी फूटी है ! किस्मत मेरी फूटी है ! सूंघने को ही कोई कह दे चल चलते हैं उपाय जुटाने फूटी कौड़ी बची ...

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लेखक के बारे में

गद्य तथा पद्य लेखन/ ब्लॉगर (apathit.blogspot.com)

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    वर्षा ठाकुर
    03 नवम्बर 2017
    दिल को छू लेने वाली कविता।
  • author
    Ranjan Mishra
    29 सितम्बर 2019
    अच्छी कविता है
  • author
    Shankar Mishra
    16 जनवरी 2018
    बहुत ही अच्छा
  • author
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  • author
    वर्षा ठाकुर
    03 नवम्बर 2017
    दिल को छू लेने वाली कविता।
  • author
    Ranjan Mishra
    29 सितम्बर 2019
    अच्छी कविता है
  • author
    Shankar Mishra
    16 जनवरी 2018
    बहुत ही अच्छा