अभी वह ऑफिस जाने की तैयारी में लगा ही था कि सहसा बदहवास सी पत्नी कमरे में आई,"जल्दी बाहर निकलिए...। बिलकुल भी अहसास नहीं हो रहा क्या...भूकंप आ रहा । चलिए तुरंत...।" वो उसकी बाँह पकड़ कर लगभग खींचती ...
31 अक्टूबर को कानपुर में जन्मी प्रियंका गुप्ता ने छह सात साल की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था | प्रारम्भिक रूप से बालकथाएं लिखने वाली प्रियंका के चार बालकथा संग्रह हैं, जिनमे से दो पुरस्कृत हैं| बड़ी कहानियों के एकल संग्रह के रूप में दो कथा संग्रह-ज़िंदगी बाकी है; और बुरी लड़की- प्रकाशित हो चुके हैं | कहानियों के अलावा प्रियंका ने कविता, लघुकथा, हाइकु आदि विधाओं में भी काफी कुछ लिखा है |
सारांश
31 अक्टूबर को कानपुर में जन्मी प्रियंका गुप्ता ने छह सात साल की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था | प्रारम्भिक रूप से बालकथाएं लिखने वाली प्रियंका के चार बालकथा संग्रह हैं, जिनमे से दो पुरस्कृत हैं| बड़ी कहानियों के एकल संग्रह के रूप में दो कथा संग्रह-ज़िंदगी बाकी है; और बुरी लड़की- प्रकाशित हो चुके हैं | कहानियों के अलावा प्रियंका ने कविता, लघुकथा, हाइकु आदि विधाओं में भी काफी कुछ लिखा है |
बेहतरीन रचना है। हमारी संस्कृति को हमने ही समाप्त करने की ओर कदम बढ़ाया है। पाश्चात्य सभ्यता अपना ने का प्रभाव है।दोश किसे दें आज हम टीवी, मीडिया सब जगह यही दिखा रहे हैं। जिसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है।सच्च ही कहा है बोएं पेड़ बबूल का तो आम कहां से खायेंगे।
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जिस माता पिता ने कई सालों तक अपने बच्चों के लिए हर गंदगी का काम बिना सोचे समझे ये बोल के करते हैं कि कोई बात नहीं सभी करते हैं जब वो परिस्थितियों में वे ही बच्चे उनसे परेशान हो जाते हैं 😗🤥
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काश यह भूकंप हम सबकी तुच्छ मानसिकता बदलने में सहयोग कर सके।बढ़ते हुए वृद्धआश्रम तो यही दिखा रहे हैं कि अब वृद्ध लोगों की समाज में जगह ही नहीं वे भाग्यशाली हैं जो संतान के साथ रह पा रहे हैं।
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बेहतरीन रचना है। हमारी संस्कृति को हमने ही समाप्त करने की ओर कदम बढ़ाया है। पाश्चात्य सभ्यता अपना ने का प्रभाव है।दोश किसे दें आज हम टीवी, मीडिया सब जगह यही दिखा रहे हैं। जिसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है।सच्च ही कहा है बोएं पेड़ बबूल का तो आम कहां से खायेंगे।
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काश यह भूकंप हम सबकी तुच्छ मानसिकता बदलने में सहयोग कर सके।बढ़ते हुए वृद्धआश्रम तो यही दिखा रहे हैं कि अब वृद्ध लोगों की समाज में जगह ही नहीं वे भाग्यशाली हैं जो संतान के साथ रह पा रहे हैं।
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