भोंदू लड़की यह वास्तविक कहानी है रुचिका की जो अपने घर की और अपने पापा की राजदुलारी बेटी थी... घर में सब उसे बहुत ही मानते थे...पढ़ने में भी बहुत अच्छी थी, ...
मैं,अर्चना प्रियदर्शी...मुझे ज़िंदगी तो गोरखपुर ने दी लेकिन साँसें इलाहाबाद में मिली...ये सफर है साँसों से महरूम मेरी ज़िन्दगी का....मुझसे जुड़ियेगा जरूर📝
सारांश
मैं,अर्चना प्रियदर्शी...मुझे ज़िंदगी तो गोरखपुर ने दी लेकिन साँसें इलाहाबाद में मिली...ये सफर है साँसों से महरूम मेरी ज़िन्दगी का....मुझसे जुड़ियेगा जरूर📝
रिपोर्ट की समस्या
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