आज मेरी भोली माँ विदा हो गयी और साथ ही उनके दुःख और तकलीफें भी | उनको विदा कर के लौटा हूँ तो सारी जिंदगी एक फिल्म की तरह आँखों से गुज़र रही है, सोचा किसी से साँझा कर लूँ | शायद नाम कुछ अटपटा है ...
कितनी अच्छी कहानी है, एक मिसाल की तरह। कहानी ने एक नई सोच को जन्म दिया है।माना कि शादी जन्म जन्मांतरों का संबंध होता है किन्तु जब इस रिश्ते में किसी भी तरह का कोई लगाव ना हो तो इंसान क्या करें।भोली मां के साथ भी यही हुआ। पति ने कभी भी पत्नी का दर्जा नहीं दिया, उनके अंधेरे मन में मित्रता और फिर प्रेम का सच्चा अंकुरण फूटा तो फिर पति ने पति होने का हक जताना शुरू कर दिया। प्रेम उम्र का तो मोहताज नहीं होता, मां की शादी पुत्र ने कराकर बहुत ही अच्छा कार्य किया। बांधकर रखना बिल्कुल सही नहीं है। आपने बहुत ही संवेदित करने वाली कहानी लिखी है। धन्यवाद
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कितनी अच्छी कहानी है, एक मिसाल की तरह। कहानी ने एक नई सोच को जन्म दिया है।माना कि शादी जन्म जन्मांतरों का संबंध होता है किन्तु जब इस रिश्ते में किसी भी तरह का कोई लगाव ना हो तो इंसान क्या करें।भोली मां के साथ भी यही हुआ। पति ने कभी भी पत्नी का दर्जा नहीं दिया, उनके अंधेरे मन में मित्रता और फिर प्रेम का सच्चा अंकुरण फूटा तो फिर पति ने पति होने का हक जताना शुरू कर दिया। प्रेम उम्र का तो मोहताज नहीं होता, मां की शादी पुत्र ने कराकर बहुत ही अच्छा कार्य किया। बांधकर रखना बिल्कुल सही नहीं है। आपने बहुत ही संवेदित करने वाली कहानी लिखी है। धन्यवाद
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