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भिक्षाम देहि:

4.5
89

“भिक्षाम देहि:”, कहते हुए अजय ने भिक्षा-पात्र संदीप के सामने खटखटाया तो संदीप को उन भिखारियों का ध्यान आया जो रोज ऑफिस जाते समय मेट्रो में इस तरह कटोरे खड़काते हुए  घूमते रहते थे। उसने मुस्कुराते हुए ...

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लेखक के बारे में
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Deepak Dixit

निवास : सिकंदराबाद (तेलंगाना) सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन संपर्क : [email protected] , 9589030075 प्रकाशित पुस्तकें योग मत करो, योगी बनो (भाल्व पब्लिशिंग, भोपाल),2016 दृष्टिकोण (कथा संग्रह) Pothi.com पर स्वयं-प्रकाशित,2019 * दोनों पुस्तकें Pothi.com पर ईबुक (ebook) के रूप में भी उपलब्ध हैं, लिंक के लिए मेरा ब्लॉग देखें शिक्षा से अभियंता (धन्यवाद-आई.आई.टी.रुड़की), प्रशिक्षण से सैनिक (धन्यवाद- भारतीय सेना), स्वभाव से आध्यात्मिक और पढ़ाकू हूँ। पिछले कुछ वर्षों से लेखन कार्य में व्यस्त हूँ। पढ़ने के शौक ने धीरे-धीरे लिखने की आदत लगा दी। अब तक चार पुस्तक (दो अंग्रेजी में मिलाकर) व एक दर्जन साँझा-संकलन प्रकाशित हुए हैं। हिंदी और अंग्रेजी में ब्लॉग लिखता हूँ। ‘मेरे घर आना जिंदगी’ (http://meregharanajindagi.blogspot.in/) ब्लॉग के माध्यम से लेख, कहानी, कविता और शोध-पत्रों का प्रकाशन। प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं तथा वेबसाइट में 100 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। साहित्य के अनेक संस्थान में सक्रिय सहभागिता है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कई गोष्ठियों में भाग लिया है तथा कविता/आलेख/शोध-पत्र वाचन किया है। दस से अधिक साहित्यिक मंचों द्वारा पुरस्कृत / सम्मानित किया जा चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    डा.कुसुम जोशी
    09 फेब्रुवारी 2021
    हर परम्परा को तार्किक तरीके से देख और सोच कर ही उसके बने होने का कारण समझ में आता है, अच्छी रचना
  • author
    Mukesh Ram Nagar
    04 फेब्रुवारी 2021
    अद्भुत...अनुपम रचना जो बहुत कुछ सिखाती है 💐🙏🙏
  • author
    UP YOG
    14 फेब्रुवारी 2021
    खोजपूर्ण लेखन, बधाई
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    डा.कुसुम जोशी
    09 फेब्रुवारी 2021
    हर परम्परा को तार्किक तरीके से देख और सोच कर ही उसके बने होने का कारण समझ में आता है, अच्छी रचना
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    Mukesh Ram Nagar
    04 फेब्रुवारी 2021
    अद्भुत...अनुपम रचना जो बहुत कुछ सिखाती है 💐🙏🙏
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    UP YOG
    14 फेब्रुवारी 2021
    खोजपूर्ण लेखन, बधाई