हाथ जोड़े, इश्क मेरा, तेरी देहरी पर पुकारता है , गिड़गिड़ाता है भिक्षाम् देही, भिक्षाम् देही मेरे ख्वाब मन के स्वर्ण रथ पर सवार एक ही पल में, दुनिया की सम्पूर्ण रिवायतों, रस्मों को पूरा कर लेना ...
आकर्षक शिर्षक.....
बेहद भावूक और खूबसूरत एहसासों का काफ़िला जो बड़ी नजाकत से मन को छू कर मन में ही बस जाए |
आपकी इस लाजबाव रचना हेतू हमारी
समीक्षा :-
गज़ब है तेरे इश्क का कासा
बिल्कुल उस नादान छलनी सा
उड़ेलकर भी मुझे सारे का सारा
फिर भी लागे है खाली खाली सा
सादर नमस्कार सर जी |
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गज़ब है तेरे इश्क का कासा
बिल्कुल उस नादान छलनी सा
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