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भिक्षाम् देही, भिक्षाम् देही

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हाथ जोड़े, इश्क मेरा,  तेरी देहरी पर पुकारता है , गिड़गिड़ाता है भिक्षाम् देही, भिक्षाम् देही मेरे ख्वाब मन के स्वर्ण रथ पर सवार एक ही पल में, दुनिया की सम्पूर्ण रिवायतों, रस्मों को पूरा कर लेना ...

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समीक्षा
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  • author
    Mrs Patil
    11 नवम्बर 2020
    आकर्षक शिर्षक..... बेहद भावूक और खूबसूरत एहसासों का काफ़िला जो बड़ी नजाकत से मन को छू कर मन में ही बस जाए | आपकी इस लाजबाव रचना हेतू हमारी समीक्षा :- गज़ब है तेरे इश्क का कासा बिल्कुल उस नादान छलनी सा उड़ेलकर भी मुझे सारे का सारा फिर भी लागे है खाली खाली सा सादर नमस्कार सर जी |
  • author
    Aditi Tandon
    08 नवम्बर 2020
    आपकी हर रचना इतनी अच्छी होती है कि तारीफ करना मुश्किल हो जाता है 👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐💐
  • author
    Kirti Mehta "कोमल"
    07 नवम्बर 2020
    निःशब्द!!!! क्या कहें तारीफ में ?????👌👌👌👌💐💐💐💐❤️
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    Mrs Patil
    11 नवम्बर 2020
    आकर्षक शिर्षक..... बेहद भावूक और खूबसूरत एहसासों का काफ़िला जो बड़ी नजाकत से मन को छू कर मन में ही बस जाए | आपकी इस लाजबाव रचना हेतू हमारी समीक्षा :- गज़ब है तेरे इश्क का कासा बिल्कुल उस नादान छलनी सा उड़ेलकर भी मुझे सारे का सारा फिर भी लागे है खाली खाली सा सादर नमस्कार सर जी |
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    Aditi Tandon
    08 नवम्बर 2020
    आपकी हर रचना इतनी अच्छी होती है कि तारीफ करना मुश्किल हो जाता है 👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐💐
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    Kirti Mehta "कोमल"
    07 नवम्बर 2020
    निःशब्द!!!! क्या कहें तारीफ में ?????👌👌👌👌💐💐💐💐❤️