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भीगी पलकें

4.4
398

अंजान रास्तो पर मिले है.. आज खामोश क्यो है हम? मुस्कुरा तो रहे है पर, मन मे छिपा है कोई गम। वैसे तेरा दर्द भी नजर आ रहा है ,तेरे भीगे पलको के पीछे। दर्द तुझे भी है जानती हूं मैं,फिर क्यों छिपा रहा ...

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लेखक के बारे में

किसी के प्रेम में दीवानी एक पगली

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    12 जनवरी 2018
    दर्द का बखूबी चित्रण किया अपने
  • author
    RITESH SINGH
    25 दिसम्बर 2017
    bhut sundar kavita sis.😍😚
  • author
    25 दिसम्बर 2017
    wAah... achha prayas
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    12 जनवरी 2018
    दर्द का बखूबी चित्रण किया अपने
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    RITESH SINGH
    25 दिसम्बर 2017
    bhut sundar kavita sis.😍😚
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    25 दिसम्बर 2017
    wAah... achha prayas