pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

भेड़ चाल

5
33

बढ़ता जाए कारवाँ, उड़ती जाए धूल। छूट गऐ जो पीछे, अनदेखी उनकी शूल।। भेड़ चाल में ताल मिलाकार, जीवन था जीआ। था जब पानी सीमित, हमने मिल पीआ।। ध्येय बना चलते जाना, कहाँ ठौर किसने जाना। सुन भाषा लाठी ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
kuldeep singh
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    25 मार्च 2019
    बहुत बढ़िया
  • author
    25 मार्च 2019
    बेहतरीन 👌
  • author
    Sandeep Sahu
    24 मार्च 2019
    बहुत शानदार सर
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    25 मार्च 2019
    बहुत बढ़िया
  • author
    25 मार्च 2019
    बेहतरीन 👌
  • author
    Sandeep Sahu
    24 मार्च 2019
    बहुत शानदार सर