‘‘आज ये सूटकेस बहुत भारी हो गया... ।’’ बड़बड़ाते हुए निर्जन ने दम भर को उसे नीचे रखा और फिर हाथ बदल कर उठाने के बाद सामने स्टेशन की ओर बढ़ गया।
दुमका से बस पर निकलते समय जो सूरज पश्चिम दिशा में उतरता ...
इस लेखक के ऊपर धारा 420 तो बनती ही है,साथ में पाठकों को झूठे ख्वाब दिखा उनका कीमती वक़्त बर्बाद करने का भी केस चलना चाहिये।
जिस कहानी को व्यंग्य और हास्य की श्रेणी में होनी चाहिए,उसे हॉरर श्रेणी में डालने पर इसकी अंतरात्मा ने क्या रोका नहीं?!!जाँच तो बनती है।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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sabse pahle ap lekhak h
apko kahaniyo ki sreni Pta hona chahiye
Ye Horror Story nhi h ese edit krke dusri sreni m daliye
story badhiya h bt yh Horror Story ki categaroy ki nhi h
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