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भ्रष्टाचारी ऑफिस बाबू

4.5
1812

आज के दौर में संसार अब निरन्तर विकसित होता जा रहा है। अधिकांशतः लोगों का लोगों के लिए ही सही से मिलने के लिए 10 मिनट भी दुर्लभ है, खासतौर पर शहरों में।                कुछ वर्ष पूर्व का यदि आइना ...

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लेखक के बारे में
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रूप नारायन

मैं 'रूप' वीरों की भूमि.. महोबा 'बुंदेलखंड' (उ.प्र.)

समीक्षा
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  • author
    विकास Babu
    10 अप्रैल 2021
    ये तो जैसी करनी वैसी भरनी वाली कहानी है रिश्वत और समय लोगो का खाया सो मिश्रा जी के साथ भी वही हुआ एंडिंग बहुत अच्छी दी सब पछतावा करवाया मिश्रा जी को और उनका बेटा भी बच गया 🙏🙏🙏🙏
  • author
    15 फ़रवरी 2020
    किसी के साथ किया गया दुर्व्यवहार व अनैतिक कार्यों का फल घूम फिर के स्वयं पर आ ही जाता है। इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। सन्देशप्रद कहानी ,good
  • author
    Deepika VAISHNAV
    19 अगस्त 2022
    wow .......sayad itne paapo k bich glti se kon puny bi kiya ta so Atlast Jan bchi
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    विकास Babu
    10 अप्रैल 2021
    ये तो जैसी करनी वैसी भरनी वाली कहानी है रिश्वत और समय लोगो का खाया सो मिश्रा जी के साथ भी वही हुआ एंडिंग बहुत अच्छी दी सब पछतावा करवाया मिश्रा जी को और उनका बेटा भी बच गया 🙏🙏🙏🙏
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    15 फ़रवरी 2020
    किसी के साथ किया गया दुर्व्यवहार व अनैतिक कार्यों का फल घूम फिर के स्वयं पर आ ही जाता है। इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। सन्देशप्रद कहानी ,good
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    Deepika VAISHNAV
    19 अगस्त 2022
    wow .......sayad itne paapo k bich glti se kon puny bi kiya ta so Atlast Jan bchi