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भारतीय जासूस- रवींद्र कौशिक ऊर्फ ब्लॅक टायगर

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अपने देश के लिये दुश्मन देश मे जा कर जासूसी कर ना खातरो से भरा काम तो होता ही है ,उस पर भी  एक तरफ जहाँ  जासूसो पर दुश्मन देश की तलवार लटकी होती है, वही दुसरी तरफ अगर वह बदकिस्मती से अपने देश की ...

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manu gaur
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    santosh gaur
    30 জুন 2020
    कहानी ऱा जासुस की है जो बहुत प्रेरणादायक है।अगर कभी यह देश से बाहर पकड़े जाते हैं तो यह खुद को देश से जुड़ा हुआ नहीं बता सकते हैं. माना जाता है कि खुद देश ही इन्हें अपना जासूस मानने से मना कर देगा. यूँ तो यह भी सेना की तरह देश को बचाने का ही काम करते हैं, लेकिन अपने काम के लिए इन्हें कोई मेडल नहीं मिलता. कोई इनकी पीठ नहीं थपथपाता. एक रॉ जासूस का काम है बस देश की निरंतर रक्षा करते रहना, बिना किसी प्रशंसा या लालसा के! रविन्द्र को गिरफ्तार कर लिया गया. रविन्द्र से जानकारी निकालने के लिए उन पर कई अत्याचार किए गए और 16 साल के लिए उन्हें जेल में तड़पने के लिए छोड़ दिया. रविन्द्र ने अंतिम सांस तक देश के खिलाफ कोई जानकारी नहीं दी. वह आखिरी सांस तक अपने काम के प्रति वफादार रहे. रविन्द्र की कहानी जान के पता चलता है कि रॉ का काम कितनी कठिनाइयों भरा है.
  • author
    Sangita Saxena
    14 জুলাই 2020
    नमन है ऐसे देशभक्त व जांबाज़ वीर को। जय हिन्द!
  • author
    ऋषि
    29 জুন 2020
    बहुत inspiring story है
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  • author
    santosh gaur
    30 জুন 2020
    कहानी ऱा जासुस की है जो बहुत प्रेरणादायक है।अगर कभी यह देश से बाहर पकड़े जाते हैं तो यह खुद को देश से जुड़ा हुआ नहीं बता सकते हैं. माना जाता है कि खुद देश ही इन्हें अपना जासूस मानने से मना कर देगा. यूँ तो यह भी सेना की तरह देश को बचाने का ही काम करते हैं, लेकिन अपने काम के लिए इन्हें कोई मेडल नहीं मिलता. कोई इनकी पीठ नहीं थपथपाता. एक रॉ जासूस का काम है बस देश की निरंतर रक्षा करते रहना, बिना किसी प्रशंसा या लालसा के! रविन्द्र को गिरफ्तार कर लिया गया. रविन्द्र से जानकारी निकालने के लिए उन पर कई अत्याचार किए गए और 16 साल के लिए उन्हें जेल में तड़पने के लिए छोड़ दिया. रविन्द्र ने अंतिम सांस तक देश के खिलाफ कोई जानकारी नहीं दी. वह आखिरी सांस तक अपने काम के प्रति वफादार रहे. रविन्द्र की कहानी जान के पता चलता है कि रॉ का काम कितनी कठिनाइयों भरा है.
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    Sangita Saxena
    14 জুলাই 2020
    नमन है ऐसे देशभक्त व जांबाज़ वीर को। जय हिन्द!
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    ऋषि
    29 জুন 2020
    बहुत inspiring story है