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भानुमती

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भानुमती         डॉ . संजीव कुमार                   भूमिका कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा- भानुमती ने कुनबा जोड़ा पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों को रेखांकन करने का मेरा पहला प्रयास रहता है। ऐसा प्रायः सभी ...

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लेखक के बारे में
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Dr Sanjeev Kumar

डाॅ. संजीव कुमार का परिचय एवं साहित्यिक योगदान नाम ः डाॅ. संजीव कुमार, जन्म ः 4 फरवरी 1960 (अभिलेखानुसार), कानपुर शिक्षा ः एमकाॅम, एलएलबी, पीएचडी, एफसीएमए, एफसीएस, सामान्य प्रबंधन (एमआईटी. बोस्टन-यूएसए), पीजीडीआईपीआर, कोबाल प्रोग्रामिंग (आई.आई.टी. कानपुर) कार्यानुभव ः विभिन्न कंपननियों में लगभग 40 वर्षों तक कार्यरत। अंततः बजाज ग्रुप में ”कार्यकारी निदेशक“ के पद से अवकाश ग्रहण। संप्रति ः बीपीए एडवाइजरी लिमिटेड में अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तथा उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता। समाज सेवा ः संस्थापक एवं अध्यक्ष-बीपीए फाउंडेशन। पत्रिका संपादन ः साहित्यिक पत्रिका ”अनुस्वार“ के ”मुख्य संपादक।“ लेखन कार्य ः कानून विषयों पर 36 पुस्तकें साहित्य सृजन ः हिन्दी साहित्य में 102 पुस्तकें संपादन सहित। प्रबंध काव्य ः उर्वशी, गंुजन, अंजिता, आकांक्षा, मेरे हिस्से की धूप, इंदुलेखा, ऋतुमयी, कोणार्क, तिष्यरक्षिता, यक्षकथा, माधवी, अश्मा, वासवदत्ता, भानुमति। (14) काव्य संग्रह ः ऋतंभरा, ज्योत्स्ना, उच्छ्वास, नीहारिका, स्वप्नदीप, मधूलिका, मालविका, किरणवीणा, प्राजक्ता, अणिमा, ग्रामा, स्वर्णकिरण, युगान्तर, परिक्रमा, अंतरा, अपराजिता, क्षितिज, टूटते सपने मरता शहर, मुक्तिबोध, समय की बात, शब्दिका, वर्णिका, मनपाँखी, अंतरंगिणी, यकीन नहीं होता, रूही, सरगोशियाँ, थोड़ा सा सूर्योदय, समंदर का सूर्य, कादम्बरी, टीके और गिद्ध, मौन का अनुवाद, कल्पना सेे परे, कहीं अंधेरे कहीं उजाले, शहर शहर सैलाब, मैं भी (मी टू), छोटी-छोटी बातें, खामोशी की चीखें, लवंगलता मेरे ही शून्य में, माँ, दीवारों के पाँव, कवि के मन से, अनुदामिनी, अनुरंजिनी, अनुरागिनी, मनमर्जिया, अभिसारिका, अमलतास, अग्निपाँखी, आज की मधुशाला, आईना हो गई जिन्दगी, काव्य सलिला (साझा)। बाल साहित्य ः बच्चों के रंग, बच्चों के संग, सात बौने, राजकुमारी की शादी, शीशे की चप्पल, मेरे प्यारे गीत। (6) आलोचना ग्रंथ ः महादेवी वर्मा: काव्य-चेतना और शिल्प, मुक्तिबोधः जीवन वैविध्य के कवि, चिंतन के पल, उद्भ्रान्तः काव्य एवं शिल्प, अज्ञेय की काव्य-चेतना के क्षण (5)

समीक्षा
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  • author
    S G Murthy
    03 नवम्बर 2022
    achhi rahi, nice 👌 पर बहुत लंबा था, उसे चाहे तो तीन या चार भाग में लिख सकते है ।
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    S G Murthy
    03 नवम्बर 2022
    achhi rahi, nice 👌 पर बहुत लंबा था, उसे चाहे तो तीन या चार भाग में लिख सकते है ।