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*भक्त वत्सल भगवान *

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दैत्य राज हिरण्यकषिपु अपने विशाल सभागार में चिंता मग्न बैठा था ।चौड़े विकराल मस्तक पर चिंता की गहरी लकीरें थी । काले मजबूत हाथों से बनी मुठ्ठीयोँ से वह बार बार अपने कठोर वज्रासन पर प्रहार कर रहा था ...

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लेखक के बारे में
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Meenakshi Sharma

काश कि पाठक समझ सकें कि उनकी समीक्षा लेखक के लिए कितनी महत्वपूर्ण है......

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    dhiraj sharma सुपरफैन
    12 मार्च 2023
    बहुत सुन्दर और जीवंत चित्रण।
  • author
    Himanshi Krish
    26 जून 2023
    बहुत सुंदर कहानी।
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  • author
    dhiraj sharma सुपरफैन
    12 मार्च 2023
    बहुत सुन्दर और जीवंत चित्रण।
  • author
    Himanshi Krish
    26 जून 2023
    बहुत सुंदर कहानी।