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भाग्य विधाता

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भाग्यविधाता            ----------------- " अरी मेरे तो भाग फूट गये! घर का सत्यानास हो गया, न जाने कैसी मनहूस घड़ी में इसे ब्याह लायी कि घर पर काली छाया सी पड़ गयी! ऐसे पैर लेकर आई है बहू कि बेटे की ...

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लेखक के बारे में
author
Manjri Agarwal

धर्म चाहे कोई भी हो लक्ष्य सबका एक है, रास्ते अनेक किंतु वैद्य सबका एक है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Neetu Maurya
    17 मार्च 2021
    बहुत ही अच्छा प्रश्न उठाया आपने की बहू है या भाग्य विधाता, आपकी यह कहानी बहुत अच्छी है 🙏🙏🙏🙏
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    Neetu Maurya
    17 मार्च 2021
    बहुत ही अच्छा प्रश्न उठाया आपने की बहू है या भाग्य विधाता, आपकी यह कहानी बहुत अच्छी है 🙏🙏🙏🙏