उस दिन सबेरे 6 बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकला, मैं रेलवे स्टेशन पहुचा, पर देरी से पहुचने कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी, मेरे पास 9.30 की ट्रेन के आलावा कोई चारा नही था मैंने सोचा कही ...
दीपक जी... बहुत अच्छी रचना है आपकी ये...
परंतु कई बार, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो हमसे पैसे तो लेते हैं खाने के नाम पे, लेकिन उसका उपयोग गलत कामों में करते हैं। उचित यह होगा कि उन्हें, कोई खाने का सामान दें, और उसका
wrapper फाड़ दें, ताकि वो वापस से उसे उसी दुकान पे काम रेट में न बेच पाए, और उसका उपभोग ही करें...
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दीपक जी... बहुत अच्छी रचना है आपकी ये...
परंतु कई बार, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो हमसे पैसे तो लेते हैं खाने के नाम पे, लेकिन उसका उपयोग गलत कामों में करते हैं। उचित यह होगा कि उन्हें, कोई खाने का सामान दें, और उसका
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