छोटे भाई कुलतार के नाम अन्तिम पत्र सेंट्रल जेल, लाहौर, 3 मार्च, 1931 अजीज कुलतार, आज तुम्हारी आँखों में आँसू देखकर बहुत दुख हुआ। आज तुम्हारी बातों में बहुत दर्द था, तुम्हारे आँसू मुझसे सहन नहीं होते। ...
मैं एहसान मन्द हूंआपका के आपकी वजह से मैं हर दिल अज़ीज़ आजादी के मतवाले या कहें कि आजादी के भगवान को कुछ और समझ पाया कोशिश करूंगा कि आज ही रात मैं भी उनके बारे में कुछ कहूं आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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मैं एहसान मन्द हूंआपका के आपकी वजह से मैं हर दिल अज़ीज़ आजादी के मतवाले या कहें कि आजादी के भगवान को कुछ और समझ पाया कोशिश करूंगा कि आज ही रात मैं भी उनके बारे में कुछ कहूं आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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