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* भाभी जान* (लघुकथा)

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ज़ारा और शबीना मध्यमवर्गीय परिवारों की पक्की सहेलियाँ थीं, जिनकी आपस मे ख़ूब पटती थी।        ज़ारा के अब्बा का इंतक़ाल हो चुका था और उसकी अम्मी रज़िया लोगों के कपड़े सिलकर जैसे-तैसे घर चला रहीं थीं। ...

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लेखक के बारे में
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Neelofar Neelu

एक नवोदित कवयित्री, शायरा और लेखिका। मुझे पुराने क्लासिकल फिल्मी गाने सुनना बहुत अच्छा लगता है। हिंदी, अंग्रेज़ी, पंजाबी और उर्दू भाषाएँ समझती हूँ। लघु कथाएँ, कहानियाँ और उपन्यास पढ़ने का शौक रखती हूँ। फ़ेसबुक मित्रों के कहने पर पिछले कुछ समय से लिखने का भी प्रयास आरम्भ किया है। मेरे 12 सांझा काव्य संग्रह, एक साँझा लघुकथा संग्रह और एक साँझा समीक्षा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उर्दू भाषा को बेहद पसंद करती हूँ। मेरी अधिकतर रचनाओं में उर्दू भाषा का समावेश होता है। कुछ रचनाएँ पंजाबी भाषा में भी लिखी हैं। अतुकांत रचनाएँ लिखना मेरा शौक है। मेरी रचनाओं को पढ़कर एक मित्र ने तो इसे "नीलोफ़री विधा" का नाम ही दे दिया है। मेरा पहला एकल काव्य संग्रह "भाव तरंगिनी" प्रकाशित हो चुका है।😊💐

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    09 जनवरी 2020
    बहुत अच्छी कहानी अच्छे कपड़े पहनने का शौक और गरीबी में भी  ऊँचा कद बनाए रखना आसान नहीं ।और देखिए वह सादगीपूर्ण जिंदगी ने उसको एक सहेली की भाभीजी ब ना दिया।
  • author
    ....
    10 जनवरी 2020
    Nilu ji.. Aapki rachnay or aapka name nilu .... Bhut bhadiya.....
  • author
    09 जनवरी 2020
    वाह बहुत सुंदर
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    Poonam Kaparwan pikku
    09 जनवरी 2020
    बहुत अच्छी कहानी अच्छे कपड़े पहनने का शौक और गरीबी में भी  ऊँचा कद बनाए रखना आसान नहीं ।और देखिए वह सादगीपूर्ण जिंदगी ने उसको एक सहेली की भाभीजी ब ना दिया।
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    ....
    10 जनवरी 2020
    Nilu ji.. Aapki rachnay or aapka name nilu .... Bhut bhadiya.....
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    09 जनवरी 2020
    वाह बहुत सुंदर