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बेटियाँ

4.6
578

देखा था मैने उसको "सिमटते"हुये । सर्दी की सर्द रातों मे "सिसकते" हुये । सोच रही थी मै क्या सोच रही होगी वो ? क्या कन्या होना उसके लिये "अभिशाप" है ? पूछा था मैने उससे क्यों बैठी हो ऐसे "शांत" सी ? ...

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लेखक के बारे में
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शिखा तिवारी
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    15 अप्रैल 2023
    बेटियों के सम्मान में वृद्धि करती अत्यन्त ही सुन्दर अभिव्यक्ति । हार्दिक साधुवाद
  • author
    sagar singh
    11 जून 2018
    jitni taarif Kare Aapki utni hi Kam hogi kash aap ladkio K liye ese hi likhtey rahe
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    अरविन्द सिन्हा
    15 अप्रैल 2023
    बेटियों के सम्मान में वृद्धि करती अत्यन्त ही सुन्दर अभिव्यक्ति । हार्दिक साधुवाद
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    sagar singh
    11 जून 2018
    jitni taarif Kare Aapki utni hi Kam hogi kash aap ladkio K liye ese hi likhtey rahe