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हिन्दी

बेटी का धन

4.6
13200

बेतवा नदी दो ऊँचे कगारों के बीच इस तरह मुँह छिपाये हुए थी जैसे निर्मल हृदयों में साहस और उत्साह की मद्धम ज्योति छिपी रहती है। इसके एक कगार पर एक छोटा-सा गाँव बसा है जो अपने भग्न जातीय चिह्नों के लिए ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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    Vivek Kumar Rajput
    09 ਦਸੰਬਰ 2018
    धन्य हैं ऐसी बेटियां! बेटियों ने बहुत बार बेटों से बढ़कर मां बाप के लिए काम किए हैं। वैसे भी बेटियां लज्जा, प्रेम और त्याग की प्रतिमूर्ति होती है। उन्हें हमेशा अपने भाईयों के लिए बहुत कुछ कुर्बान करना पड़ता है। मगर फिर भी वो मां बाप की बेटों से ज्यादा सम्मान देती है।
  • author
    divakar sharma
    03 ਮਾਰਚ 2019
    माता पिता के दर्द को बेटियां भली भांति जानती हैं।बेटे पिता की वसीयत को ही देखते हैं।
  • author
    शिवम "विद्रोही"
    13 ਮਈ 2019
    बेटियाँ धन होती ही हैं, पर समाज का बनाया यह नियम समझ से परे है कि जब बहु के घर का धन गला दबाकर छीन लिया जाता है और उसे गर्व से कहा जाता है कि बड़े लड़के की शादी में इतना चढ़ावा मिला, तो कमाऊ बेटी और दामाद के धन को खर्च करना शास्त्र विरुद्ध क्यों है? ख़ैर, एक बेटी की दिली ईच्छा मां बाप को खुश देखने की ही होती है वह उन्हें दुःख में नहीं देख सकती। धन्य हैं बेटियाँ और दामाद भी।
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    Vivek Kumar Rajput
    09 ਦਸੰਬਰ 2018
    धन्य हैं ऐसी बेटियां! बेटियों ने बहुत बार बेटों से बढ़कर मां बाप के लिए काम किए हैं। वैसे भी बेटियां लज्जा, प्रेम और त्याग की प्रतिमूर्ति होती है। उन्हें हमेशा अपने भाईयों के लिए बहुत कुछ कुर्बान करना पड़ता है। मगर फिर भी वो मां बाप की बेटों से ज्यादा सम्मान देती है।
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    divakar sharma
    03 ਮਾਰਚ 2019
    माता पिता के दर्द को बेटियां भली भांति जानती हैं।बेटे पिता की वसीयत को ही देखते हैं।
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    शिवम "विद्रोही"
    13 ਮਈ 2019
    बेटियाँ धन होती ही हैं, पर समाज का बनाया यह नियम समझ से परे है कि जब बहु के घर का धन गला दबाकर छीन लिया जाता है और उसे गर्व से कहा जाता है कि बड़े लड़के की शादी में इतना चढ़ावा मिला, तो कमाऊ बेटी और दामाद के धन को खर्च करना शास्त्र विरुद्ध क्यों है? ख़ैर, एक बेटी की दिली ईच्छा मां बाप को खुश देखने की ही होती है वह उन्हें दुःख में नहीं देख सकती। धन्य हैं बेटियाँ और दामाद भी।